शनिवार, 8 मई 2010

रात की एक रात :)

सिलवट सिलवट चाँद पड़ा है,
हर कोने पे तारे हैं ,
कुछ उल्काएं हैं जो गिरी हैं
बिस्तर के सिरहाने से ,
ओस की बूंदे सुलग रही हैं
बिस्तर के पाए के पास ,
तकिये के नीचे इक
मिल्की वे कि साँसे अटकी हैं...

जाने किसके साथ गुजारी
रात ने अपनी रात यहाँ ...! :D