बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

ghazal

जब भी दिख जाएँ वो हैरत करना
ऐसे रंगों की हिफ़ाज़त करना

جب بھی دیکھ جائیں وہ، حیرت کرنا
ایسے..رنگوں کی حفاظت کرنا


उस का मुझ से यूँ ही लड़ लेना और
घर की चीजों से शिकायत करना

اس کا مجھ سے یوں ہی لڑ لینا اور
گھر کی چیزوں سے شکایات کرنا


काम ये कोई भी कर देगा पर
इश्क! तुम मेरी वज़ाहत करना

کام یہ کوئی بھی کر دیگا پر
عشق ! تم میری وضاحت کرنا

इस से पहले के उसे देखो तुम
ठीक से सीख लो हैरत करना

اس سے پہلے کہ اسے دیکھو تم
ٹھیک سے سیکھ لو حیرت کرنا


मेरे ता'वीज़ में जो काग़ज़ है
उस पे लिक्खा है मुहब्बत करना

میرے تعویز میں جو کاغذ ہے
اس پے لکّھا ہے.. محبّت کرنا


रोकना... उस को बना कर बातें
कुछ हो गर तो शिकायत करना

روکنا اس کو.. بنا کر باتیں
کچھ نہ ہو گر تو شکایات کرنا

-Swapnil Tiwari-

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

नज़्म/نظم

काली रात है
काली रात पे रंग नहीं चढ़ता है कोई
झिलमिल झिलमिल करते तारे
सुर्ख़ अगर हो जाएँ भी तो
किस की नज़र में आएंगे ये
चाँद ही होता
सुर्ख़ रंग उस पर फबता भी।
काली रात है
काली रात पे रंग नहीं चढ़ने वाला है
मैंने अपनी नब्ज़ काट कर
अपना लहू बर्बाद कर दिया...
کالی رات ہے
کالی رات پہ رنگ نہیں چڑھتا ہے کوئی
جھلمل جھلمل کرتے تارے
سرخ اگر ہو جائیں بھی تو
کس کی نظرمیں آئینگے یہ یہ
چاند ہی ہوتا
سرخ رنگ اس پر پھبتا بھی ...
کالی رات ہے
کالی رات پہ رنگ نہیں چڑھنے والا ہے
میں نے اپنی نبض کاٹ کر
اپنا لہو برباد کر دیا....
-swapnil tiwari-