अजब नक़्शा है देखो मेरे घर का
हर इक खिड़की पे मंज़र है सहर का
हर इक खिड़की पे मंज़र है सहर का
मिरे हालात बेहतर हो चले हैं
भरोसा कर लिया था इस ख़बर का
भरोसा कर लिया था इस ख़बर का
मिरे सामान में शामिल है मिट्टी
इरादा है समन्दर के सफ़र का
इरादा है समन्दर के सफ़र का
खड़ी थी वादियों में एक लडकी
पहन कर कोट इक यादों के फ़र का
पहन कर कोट इक यादों के फ़र का
पहाड़ों से समंदर तक खिंचा है
ये दरिया है कोई टुकड़ा रबर का
ये दरिया है कोई टुकड़ा रबर का
परिंदा शाख़ पे माज़ी के बैठा
किसी की याद है कोटर शजर का
किसी की याद है कोटर शजर का
बहारो! चादरें ले आओ इनकी
बदन उघडा हुआ है हर शजर का
बदन उघडा हुआ है हर शजर का
कोई जिग्सा पज़ल है दुनिया सारी
मैं इक टुकड़ा हूँ, पर जाने किधर का
मैं इक टुकड़ा हूँ, पर जाने किधर का
हरी क़ालीन सी इक लॉन में थी
और उसपे फूल था इक गुलमोहर का
और उसपे फूल था इक गुलमोहर का
बुझी आख़िर में सारी आग ‘आतिश’
भले ही दोष था बस इक शरर का
भले ही दोष था बस इक शरर का
عجب نقشہ ہے دیکھو میرے گھر کا
ہر اک کھڑکی پے منظر ہے سحر کا
مرے سامان میں شامل ہے مٹی
ارادہ ہے سمندر کے سفر کا
مرے حالات بہتر ہو چلے ہیں
بھروسہ کر لیا تھا اس خبر کا
کھڑی تھی وادیوں میں ایک لڑکی
پہن کر کوٹ اک یادوں کے فر کا
پہاڑوں سے سمندر تک کھنچا ہے
یہ دریا ہے کوئی ٹکڑا ربر کا
پرندہ شاخ پے ماضی کے بیٹھا
کسی کی یاد ہے کوٹر شجر کا
بہارو! چادریں لے آؤ انکی
بدن اگھڑا ہوا ہے ہر شجر کا
کوئی جگسا پزل ہے ساری دنیا
میں اک ٹکڑا ہوں پر جانے کدھر کا
بجھی آخر میں ساری آگ 'آتش'
بھلے ہی دوش تھا بس اک شرر کا
3 टिप्पणियां:
maa saraswti ki puri kripa hai aap par......tabhi sambhav ho pati hai is star ki rachana.....
maa saraswti ki puri kripa hai aap par......tabhi sambhav ho pati hai is star ki rachana.....
bahut bahut shukriya pramod ji..aap sab ka pyaar hai jo prerit karta hai
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