मंगलवार, 8 मई 2018

Earth hour (नज़्म/نظم)

मेरी ख़ाहिश है हर महीने में
रात इक इस तरह की हो जिसमें
शह्र की सारी बत्तियां इक साथ
एक घंटे को चुप करा दी जाएँ
शह्र के लोग छत पे भेजे जाएँ
और तारों से जब नज़र उलझे
तब अँधेरे का हुस्न उन पे खुले
कहकशाँ टूट कर गिरे सब पे
सब की आँखों के ज़ख्म भर जाएँ….
मुझ को गर इंतेख़ाब करना हो
मैं अमावास की रात को चुन लूँ
चाँद की ग़ैरहाज़िरी में ये बात
साफ़ शायद ज़ियादा हो हम पे
अपना नुक़सान कर लिया है बहुत
हमने ईजाद रौशनी कर के’`

میری خواہش ہے ہر مہینے میں
رات اک اس طرح کی ہو جس میں
شہر کی ساری بتیاں اک ساتھ
ایک گھنٹے کو چپ کرا دی جایں
شہر کے لوگ چھت پے بھیجے جایں
ان کی تاروں سے جب نظر الجھے
تب اندھیرے کا حسن ان پے کھلے
کہکشاں ٹوٹ کر گری ان پر
انکی آنکھوں کے زخم بھر جائیں
مجھ کو گر انتخاب کرنا ہو
میں اماوس کی رات کو چن لوں
چاند کی غیر حاضری میں یہ بات
صاف شاید زیادہ ہو ہم پر
اپنا نقصان کر لیا ہے بہت
ہم نے ایجاد روشنی کر کے
-Swapnil-

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