शनिवार, 31 अगस्त 2013

प्रिज़्म और पिरामिड


प्रिज़्म में इक उदासी भरी
दुबली-पतली किरन, ऐसे दाख़िल हुई
जैसे बाहर न आयेगी अब
प्रिज़्म दिखने में तो इक पिरामिड सा ही होता है
रौशनी का बदन लेकिन ऐसा नहीं
बना कर ममी जिसको रक्खे वहाँ..
प्रिज़्म के सब फलक कोशिशें कर के भी
जब बना ही न पाये किरन को ममी
तो वो हंसने लगी और
हँसते हुए अपनी सतरंगी चादर हवा में उड़ाने लगी...

1 टिप्पणी:

pramod kumar ने कहा…

amazing similarities........