गुरुवार, 22 जून 2017

मेरे चारों सिम्त पहले जमअ तन्हाई हुई /میرے چاروں سمت پہلے جمع تنہائی ہوئی

मेरे चारों सिम्त पहले जमअ तन्हाई हुई
दिल-कचहरी में मिरी तब जा के सुनवाई हुई
میرے چاروں سمت پہلے جمع تنہائی ہوئی
دل کچہری میں مری ٹیب جا کے سنوائی ہوئی
रेत पर लेटी हुई थी शाम लड़की सी किसी
धूप से साहिल पे पूरे दिन की सँवलाई हुई
ریت پر لیٹی ہوئی تھی شام لڑکی سی کسی
دھوپ سے ساحل پے پورے دن کی سنولائی ہوئی
धीरे धीरे ख़ाब की सब मछलियाँ भी मर गयीं
 रफ़्ता रफ़्ता कम मिरी नींदों की गहराई हुई
دھیرے دھیرے خواب کی سب مچھلیاں بھی مر گیئں
رفتہ رفتہ کم مری نیندوں کی گہرائی ہوئی
धूप के भीगे हुए टुकड़े हैं पैलेट में फ़क़त
कैनवस पर इक धनक है रंग में आई हुई
دھوپ کے بھیگے ہوئے ٹکڑے ہیں پیلٹ میں فقط
کینوس پر اک دھنک ہے رنگ میں آئی ہوئی
कैमरे की इक पुरानी रील अचानक मिल गयी
पर जो तस्वीरें बनीं वो सब थीं धुँधलाई हुई
کیمرے کی اک پرانی ریل اچانک مل گئی
پر جو تصویریں بنیں وو سب تھیں دھندلائی ہوئی
-Swapnil Tiwari-


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