रविवार, 27 मार्च 2016

इश्क़ की रुत से हम आहंग/عشق کی رت سے ہم آہنگ

इश्क़ की रुत से हम आहंग
दिल के अंदर एक मलंग

शब की क़ैद से भागने को
चाँद की ओट में एक सुरंग

इक मछली की राह बनें
धारों में इस बात पे जंग

अब्र की पीठ पे फैला है
छूट रहा है चाँद का रंग

सँकरी सँकरी किरणें हैं
धनक! तुम्हारा घर है तंग

मांझा अब इस ज़िद पर है
हाथ कटे या कटे पतंग

नींद में ख़ाब का कंकर फेंक
सुब्ह तलक फैलेगी तरंग


عشق کی رت سے ہم آہنگ
دل کے اندر ایک ملنگ

شب کی قید سے بھاگنے کو
چاند کی اوٹ میں ایک سرنگ

اک مچھلی کی راہ بنیں
دھاروں میں اس بات پی جنگ

ابر کی پیٹھ پہ پھیلا ہے
چھوٹ رہا ہے چاند کا رنگ

سنکری سںکری کرنے ہیں
دھنک! تمہارا گھر ہے تنگ

مانجھا اب اس زد پر ہے
ہاتھ کٹے یا کٹے پتنگ

نیند میں خواب کا کنکر پھینک

صبح تلک پھیلے گی ترنگ 

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